लेखनी प्रतियोगिता -17-Feb-2022
औरत हूँ कमजोर नहीं
औरत हूँ कमजोर नहीं। मुझमें अथाह विश्वास है।
और विश्वास पर है दुनिया कायम,
इसका मुझको भली भाँति आभास है।
कोमल हूँ केवल मन से,
निर्बल नहीं ये याद रखना।
जब जब मुझ पर संकट आया है
पूरे संसार में मैने प्रलय मचाया है।
हूँ काली भी हूँ, हूँ लक्ष्मी भी,
लेकिन तुमको ये याद रहे।
केशों को खून से धोकर मैने प्रतिशोध
मिटाया है। तो कमजोर हूँ मैं,
इसका ख्याल भी कैसे तुम्हें आया है।
हाँ भरे दरबार में मुझसे बदसलूकी
थी दिख लाई।
लेकिन देखो नियति का खेल,
फिर तुम्हारी कैसी दुर्गति आई थी।
बिलख बिलख कर तुम गिड़गिड़ाऐ
और उस वक्त ये कोमल स्त्री
इतनी कठोर बन आयी थी।
के केशों को खून से धोते वक्त
भी चेहरे पर मुस्कान आई थी।
तो क्या कमजोर हूँ मैं,
ये गलती कैसे तुम्हारे मन में समाई थी।
एक बेटा भी मैने जना
एक पति की अर्धांगिनी
में कहलाई थी।
इसलिए मुझसे है अस्तित्व तुम्हारा
तो गलती से ये भूल ना करना।
औरत का सम्मान करो।
ये तुम्हारी माँ भी है बहन भी
और पत्नी भी तो कमजोर नहीं ये।
दिल से आभार करो।
जैसे ईश्वर ने तुम्हें पुरुष बनाया
इन्हें भी खूबियों से भरपूर बनाया।
By-Rekha mishra
Rekha mishra
18-Feb-2022 02:44 PM
Thanks to all
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Shrishti pandey
18-Feb-2022 11:03 AM
Very nice
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Ekta shrivastava
18-Feb-2022 10:47 AM
Very nice
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